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लेखनी प्रतियोगिता -10-Sep-2023 "तन माटी का"

   "तन माटी का

जिस तन को तू मलमल धोबे, रखे बड़ा संभाल। 
माटी में मिल जाए इक दिन, हाथ ना आबे ख़ाक।। 
तन माटी है मन कुंदन है, उसको रखो संभाल। 
मन का उजलापन साथ जायेगा, तन माटी का भार।। 

सारे तेरे रिश्तें नाते और साथी - संगी, सब है ये बेकार। 
प्राण जो निकले तेरे तन से इक पल में, कर देंगे माटी में तुझको खाक़।। 
संभल जा प्राणी भूल न खुद को, काया का फ़िर क्यों करे गुमान। 
लिप्त न रह संसार के झमेलों में, कर ले तू कुछ अच्छे काम।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"



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10 Comments

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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बहुत बहुत आभार आपका 🙏🙏

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Gunjan Kamal

10-Sep-2023 09:08 PM

👏👌

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🙏🙏🙏🙏

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Reena yadav

10-Sep-2023 09:00 PM

👍👍

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🙏🙏🙏🙏

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